नोएडा पुलिस के ऑडियो वायरल : कोर्ट के आदेश के बावजूद अभियुक्त के खिलाफ जांच को किया मना, IRS अधिकारी द्वारा शादी का झांसा देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाने और अश्लील वीडियो से ब्लैकमेल करने का मामला

महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती के बावजूद भी महिलाओ को नहीं मिल पा रहा है न्याय , जांच में ही बंद कर दिए जा रहे गंभीर मुक़दमे

गौतमबुद्ध नगर । एक्सप्रेस वे थाना नोएडा पुलिस के इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारियों के सोशल मीडिया पर तेजी से ऑडियो क्लिप्स वायरल हो रहे है । एक ऑडियो में पूर्व में सेक्टर 58 में तैनात इंस्पेक्टर लेवल का जांच अधिकारी यह कह रहा है की इस केस में जांच करने से अच्छा है की हम अपना ट्रांसफर करा लें , वही दूसरी ऑडियो में जांच अधिकारी बोल रहा है की पीड़िता को अपनी FIR दिल्ली में करानी चाहिए थी , दिल्ली पुलिस महिलाओ के मामले में ज्यादा एक्टिव है ।

जांच करने के बजाए ट्रांसफर करवा लूंगा देखें वीडियो

क्या है पूरा मामला

प्राप्त जानकारी के अनुसार नोएडा सेक्टर 120 में रहने वाली पीड़िता ने बताया है की 2020 में गुडगाँव में तैनात एक IRS अधिकारी ने अपने आप को कुंवारा बताकर पीड़िता को शादी का वादा किया और उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाये । उसके पश्चात गर्भवती होने पर उसको जबरन गर्भपात पिल खिलाई और बाद में शादी से मुकर गया । पीड़िता ने बताया आरोपी अधिकारी ने पीड़िता की अश्लील फोटो और वीडियो भी बना ली थी जिनके जरिये वो उसको ब्लैकमेल भी कर रहा था । पीड़िता द्वारा उक्त घटना के सम्बन्ध में सेक्टर 20  थाने में एक FIR NO. 1071/2021 लिखवाई गयी थी ।

पुलिस आरोपी को बचाने में जुटी

पीड़िता ने बताया की आरोपी क्युकी ऊँचे पद पर आसीन है और अपनी पहुंच का दुरूपयोग कर रहा है और पुलिस को भी प्रभावित कर रहा है । पुलिस द्वारा उक्त केस में 4 जांच अधिकारी बदले जा चुके है । परन्तु हर बार जांच अधिकारी यह कह देते है की हमारे ऊपर बड़े अधिकारियो का दवाब है । पीड़िता ने बताया की उसने आरोपी द्वारा भेजी गयी अश्लील व्हाट्सअप चैट , शादी का वादा करने की चैट , गर्भपात का मेडिकल एवं आरोपी की माफ़ी मांग कर अपनी गलती स्वीकारने के ऑडियो भी पुलिस को दी है । परन्तु पुलिस के जांच अधिकारियों द्वारा उक्त सबूत होने के बावजूद भी अभियुक्त के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी है । उल्टा पुलिस के जांच अधिकारी यह बोल रहे है की IRS बनने में बहुत मेहनत लगती है । इस केस की वजह से आरोपी की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी ।

दिल्ली पुलिस यू पी पुलिस के मुकाबले महिलाओ के मामले में ज्यादा एक्टिव है देखें वीडियो

कोर्ट ने दिया था दोबारा जांच करने का आदेश

प्रारंभिक जांच में पुलिस द्वारा 15 दिन में ही जांच में FR लगा दी गयी थी। परन्तु बाद में पीड़िता के कोर्ट के समक्ष 164 के ब्यान हुए जिसमे पीड़िता ने अपने साथ हुई सपूर्ण घटना का कथन किया । जिसके पश्चात कोर्ट ने अप्रैल 2022 में अपने आदेश में कहा की विवेचक द्वारा बिना आधार अंतिम आख्या प्रेषित कर दी गयी है। यह भी प्रतीत होता है की विपक्षी ऊँचे एवं प्रतिष्ठित पद पर आसीन है । जिसके दवाब में आकर सही जांच नहीं की गयी हैजिसके उपरान्त साक्ष्य इक्कठा कर पुनः जांच करने के आदेश पारित किये

जिसके बाद नए जांच अधिकारी ने जांच मिलते ही न्यायलय पर ही सवाल उठा दिया और बोला की यह सारी घटना दिल्ली में हुई है । कोर्ट को इस पर सुनवाई करने का अधिकार भी नहीं है और पीड़िता को इस मामले में दिल्ली में एफ आई आर करनी चाहिए थी क्युकी दिल्ली पुलिस महिला के मामलो में ज्यादा एक्टिव है ।

वही उसके पश्चात जब उक्त केस की जांच sector 58  में तैनात इंस्पेक्टर लेवल के अधिकारी को मिली तो उसने जांच मिलते ही कहा की यह बहुत हाई लाइटेड मैटर  है । इसमें जांच करने से अच्छा है की हम अपना ट्रांसफर ही कही और करा ले ।

डी सी पी महिला सुरक्षा द्वारा उक्त जांच को एक्सप्रेस वे थाने में स्थानांतरित किया गया है । पीड़िता ने बताया की जांच के नाम पर पीड़िता को ही प्रताड़ित किया जा रहा है । उसको रात्रि 8-8 बजे तक थाने में बैठा कर रखा गया और दवाब बनाकर तथ्यों को तोड़ मरोड़कर अभियुक्त के पक्ष में जांच की जा रही है । सवाल पूछने के बहाने एक्सप्रेस वे के जांच अधिकारी ने अश्लील और गैर जरुरी सवाल पूछे एवं पीड़िता को अपने अधिवक्ता से भी बात नहीं करने दी ।

उक्त केस में पुलिस द्वारा अभियुक्त को बुलाकर आरोपी की तरह कोई भी सवाल नहीं किये गए है , आरोपी अपनी रसूक का फायदा उठा रहा है ।

पीड़िता ने बताया की जांच अधिकारी हर बार यह बोलते है की हम तो बहुत छोटी सी कड़ी है और हमारे ऊपर पुलिस के बड़े अधिकारियों का दवाब है ।