वन नेशन-वन इलेक्शन नहीं है मंजूर – AAP
नई दिल्ली । 24.01.2023 आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने भाजपा के वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव का विरोध किया है उनके मुताबिक़ इससे देश काआम आदमीआदमी अपने मत का सही प्रयोग नहीं कर पायेगा और चुनाव के दौरान सम्पूर्ण देश के अन्य कार्य भी प्रभावित होंगे।आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओ ने भी वन नेशन वन इलेक्शन से अपनी असहमति जताई है ।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार के वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव का विरोध जताया है। पार्टी ने इसे गैर संवैधानिक और भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। AAP नेता आतिशी ने प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करते हुए लॉ कमीशन को 12 पेज में अपनी राय रखी है।
क्या है वन नेशन-वन इलेक्शन?
वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
बता दें कि भाजपा ने पहली बार 2017 में वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रस्ताव देश के सामने रखा था। इस प्रस्ताव को लॉ कमीशन के सामने रखा गया और 2018 में लॉ कमीशन ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। दिसंबर 2022 में लॉ कमीशन ने सभी राजनीतिक दलों को अपनी रिपोर्ट भेजकर इस पर उनकी राय मांगी थी।
केंद्र और राज्य में अलग पार्टी को वोट देतें हैं उनके लिए मुश्किल होगा
AAP नेता आतिशी सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्र और राज्य के एक साथ चुनाव और प्रचार के दौरान अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बात रखना मुश्किल होगा। साथ ही जो लोग केंद्र में अलग और राज्य में अलग पार्टी को वोट देतें हैं उनके लिए भी मुश्किल होगा कि वो किसे वोट दें। आतिशी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन लागू होने से जो बड़ी पार्टियां हैं, जिनके पास पैसा और ताकत है, वो क्षेत्रिय पार्टी को दबा देंगी। इससे राज्यों की जनता ये डिसिजन नहीं ले पाएगी कि वोट किसे देना है।
क्या वाकई करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं ?
दिसंबर 2015 में लॉ कमीशन ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया था कि अगर देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाते हैं, तो इससे करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं। इसके साथ ही बार-बार चुनाव आचार संहिता न लगने की वजह से डेवलपमेंट वर्क पर भी असर नहीं पड़ेगा। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सिफारिश की गई थी कि देश में एक साथ चुनाव कराए जाने चाहिए।